भगवान् कौन है, कँहा रहता है, वो कैसे इस दुनिया को चलाता है ऐसे बहुत से सवाल हमारे और आपके दिमाग में चलते रहते है भगवान् जिसे हर कोई जानता तो है लेकिन उसे कभी देखा नहीं, इसलिए भगवान् को खोजने की हमारी ललक और बढ़ जाती है, भगवान् हमारी जिज्ञासा हैं, हम सभी अपने बचपन से ही भगवान और उनसे जुडी कथाओं के बारे में सुनते आ रहे है, उनकी महानता और शक्तियों के बारे में सुनते आ रहे है और उनकी प्रार्थना और भक्ति करते आ रहे हैं, इस संसार में सभी धर्मों के लोग अलग-अलग तरीके से अपने धर्म के अनुसार भगवान से जुड़े हुए हैं और सभी धर्मों के लोग अपने-अपने धर्म के अनुसार भगवान् में श्रद्धा और विश्वास रखते है और उनकी पूजा करते है. भगवान् एक ऐसी शक्ति है जो हमेशा अपने होने का अहसास कराती रहती है उन्होंने इस दुनिया की रचना की है वो सर्वशक्तिशाली, सर्वज्ञानी और महान है वो कभी न मिटने वाला सत्य है। एक बात मैं आपको बता दूँ कि जब आप अत्यधिक परेशानी या तनाव से गुजर रहे होते है तो ऐसी स्थिति में भगवान् को ढूंढने की आपकी सनक और भी बढ़ जाती है और आप भगवान् के रहस्य को जानना चाहते है कि भगवान् कौन है और ...
न्याय वो परिक्रिया है जिससे किसी के अच्छे या बुरे कर्मो का अवलोकन करके उसे सुख(आनंद) या दुःख (दण्ड ) दिया जाये जो लोग बुरे कर्म करते है वो दंड के हकदार होते हैं और जो लोग अच्छे कर्म करते है वो लोग सुख के हकदार होते हैं सामाजिक न्याय भी इसी सिद्धान्त पर काम करता है जो लोग बुरे काम जैसे चोरी ,डैकती, हत्या या बलात्कार आदि अपराध करते है उन्हें न्यायिक अदालत द्वारा दंड दिया जाता है और जो लोग अच्छे काम जैसे समाज सेवा ,गरीबों की सेवा या जन कल्याणकारी काम करते हैं उन्हें समाज से प्रतिष्ठा और सम्मान मिलता है लेकिन एक सवाल दिल में आता है कि भगवान् का न्याय क्या है ? क्या वो सभी को उचित न्याय देता है? क्या जो सुख-दुःख हम अपने जीवनकाल में भोगते हैं वो सही है? क्या हमे सुख और दुःख अपने अच्छे या बुरे कर्मो के फल के कारण मिलता है ? कुछ ऐसे सवाल है जो ये दर्शाता है कि भगवान् हमारे साथ न्याय नही करता क्योकि न्याय वो होता है जिसमे अपराधी को पता हो कि उसने क्या अपराध किया है। अगर किसी को ये नही पता कि उसे उसके किस अपराध की सज़ा उसे मिल रही है और उस सज़ा की अवधी कितनी है तो वो न्यायसंगत ...
यह सवाल बहुत जटिल है कि भगवान् ने हमे क्यों बनाया ? ऐसे क्या कारण रहे होंगें जिसके कारण भगवान् को इस सृष्टि की रचना करनी पड़ी। क्योकि भगवान् तो अनादि काल से है जब तक इस ब्रह्माण्ड की रचना तक भी नही हुई थी तो अचानक उसके मन में इस सृष्टि की रचना का ख्याल क्यों आया, मैंने इस बारे में बहुत सोचा कि भगवान् ने हमें क्यों बनाया होगा कुछ कारण मेरे दिमाग में आये जैसे 1. क्या भगवान् ने हमे इसलिए बनाया ताकि हम उसकी पूजा करें और पूरी दुनिया में उसका नाम हो? 2. क्या भगवान् ने अपना अकेलापन दूर करने के लिए इस सृष्टि का निर्माण किया होगा? 3. भगवान् ने हमे ख़ुशी और आनंद देने के लिए बनाया है? 4. क्या उसने इस सृष्टि का निर्माण इसलिए किया ताकि वो अपनी महानता और पराक्रम किसी को दिखा सके और लोग उसकी जय जयकार करें? 5. क्या भगवान ने पुरे ब्रह्माण्ड पर राज करने वाले राजा बनने की ललक के कारण इस सृष्टि निर्माण किया जँहा वो इस सृष्टि को अपने इशारे पर चलाये और लोगों से अपना गुणगान कराये? 6. या सामर्थवान होने के कारण उनके दिमाग में सृष्टि रचने का ख्याल आया जिसके कारण उन्होंने इंसानों के निर्माण के बारे में सो...
Comments
Post a Comment