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Showing posts from October, 2016

भगवान् का न्याय

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न्याय वो परिक्रिया है जिससे किसी के अच्छे या बुरे कर्मो का अवलोकन करके उसे सुख(आनंद) या दुःख (दण्ड ) दिया जाये जो लोग बुरे कर्म करते है वो दंड के भागीदार होते हैं और जो लोग अच्छे कर्म करते है वो लोग इस जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं सामाजिक न्याय भी इसी सिद्धान्त पर काम करता है जो लोग बुरे काम जैसे चोरी ,डैकती , हत्या या बलात्कार आदि अपराध करते है उन्हें न्यायिक अदालत द्वारा दंड दिया जाता है और जो लोग अच्छे काम जैसे समाज सेवा ,गरीबों की सेवा या जन कल्याणकारी काम करते हैं उन्हें समाज से प्रतिष्ठा और सम्मान मिलता है लेकिन एक सवाल दिल में  आता है कि भगवान् का न्याय क्या है ? क्या वो सभी को उचित न्याय देता है? क्या जो सुख दुःख हम अपने जीवनकाल में भोगते हैं वो सही है? क्या हमे सुख और दुःख अपने अच्छे या बुरे कर्मो के फल के कारण मिलता है ? मैं मानता हूँ कि भगवान् हमारे साथ न्याय नही करता क्योकि न्याय  वो होता है जिसमे अपराधी को पता हो कि उसने क्या अपराध किया है। अगर किसी को ये नही पता कि उसे उसके किस अपराध की सज़ा मिल रही है और उस सज़ा की अवधी कितनी है तो वो न्यायसंगत नही है मैंने देखा ह

ईश्वर ने हमें और इस ब्रह्माण्ड को क्यों बनाया ?

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यह सवाल बहुत जटिल है कि भगवान् ने हमे क्यों बनाया ? क्योकि भगवान् तो अनादि  काल से है  जब तक इस ब्रह्माण्ड की रचना तक भी नही हुई थी तो अचानक उसके मन में इस सृष्टि की रचना का ख्याल क्यों आया मैंने इस बारे में बहुत सोचा कि भगवान् ने हमें क्यों बनाया होगा कुछ कारण मेरे दिमाग में आये जैसे 1. क्या भगवान् ने अपना अकेलापन दूर करने के लिए सृष्टि का निर्माण किया 2. क्या भगवान् ने हमे इस लिए बनाया ताकि हम उसकी पूजा करें और उसका पूरी दुनिया में नाम हो 3. क्या उसने इस सृष्टि का निर्माण इस लिए किया ताकि वो अपनी  महानता और पराक्रम किसी को दिखा सके और लोग उसकी जय जयकार करें 4. या क्या भगवान् एक निर्दयी तानासाह है जिसने इस सृष्टि का निर्माण इस लिए किया ताकि वो लोगो और इस सृष्टि को अपने इशारे पर चलाये, और अपना  गुणगान कराये ,और उसकी पूजा या जय जयकार न करने पर लोगो को दण्डित करे या लोगो से खेल सके किसी को दुःख तो किसी को अचानक सुख,  जैसा उसका दिल करे वो वही करे या फिर हम इतने बुद्धिमान या सक्षम नही हैं  जो इस बात को सोच सकें कि भगवान् ने हमे क्यों बनाया होगा ? बहुत से धार्मिक विद्वानों का य

भगवान् कौन है

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हम बचपन से ही भगवान और देवी देवताओ के बारे में सुनते आ रहे है और उनसे प्रार्थना और  उनकी भक्ति करते आ रहे हैं और इसी तरह सभी लोग अलग-अलग तरीके से भगवान एवं अपने धर्म से जुड़े हुए हैं। लेकिन फिर भी, कभी कभी हमारे दिल में ख्याल आता है  कि भगवान कौन हैं? क्या भगवान का सच में कोई अस्तित्व हैं? वो रहता कँहा है?  वो कैसे हमारा भला करता है या वो किस तरह हमे दण्डित करता है? क्या किसी ने भगवान को देखा हैं या उसे महसूस  किया हैं?  यह ब्रह्मांड किसने बनाया?  और कोण इस दुनिया या ब्रह्मांड को चलाता है ? क्या ये दुनिया भगवान चलाते हैं? और वो इस दुनिया को कैसे चलते हैं भगवान का न्याय क्या है? क्या भगवान हमारी  पूजा और प्रार्थना सुनते हैं क्या सही में भगवान हमेशा सच के साथ होते हैं क्या भगवान दयालु हैं जो कभी किसी पर अन्याय नही होने देते?क्या भगवान् एक ही है ?  क्या  भगवान और विज्ञान के बिच में  कोई सबंध हैं? ऐसे प्रसन हमेशा मेरे दिमाग में रहते हैं  जब हम इस विशाल ब्रह्मांड को देखते हैं, तब हम एक अद्भुत शक्ति का अनुभव  करते हैं जो सभी को संतुलित रखती हैं । दूसरा, जब हम सुंदर प्रकृति को देखते हैं, ह