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पता नही क्यूँ भगवान् चाहता है कि हम उसका नाम हज़ारों लाखों बार लें क्या भगवान दिल से एक बार लिया उसका नाम कबूल नही कर सकता।

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हमने अक्सर देखा है कि जब हम भगवान् की प्रार्थना करते हैं तो उसका नाम 108,1008 या लाखो और करोड़ो बार लेना पड़ता है और हम पूरी ज़िन्दगी भर करोड़ो बार भगवान् का नाम लेते हैं ताकि हमारी प्रार्थना कबूल हो जाए। ताकि भगवान् हमपर अपनी दया और कृपा करें और फिर भी हमारी प्रार्थना कबूल नही हो पाती ।हम ज़िन्दगी भर दुःख दर्द सहते रहते है और उस भगवान् का नाम लेते रहते हैं ऐसा क्यों हैं क्या भगवान् अपने आप को एक घमंडी शहंशाह मानता है जो एक बार में किसी की नही सुनता ,कुछ लोग कहते हैं कि आपने भगवान् का नाम तो लिया ,आपने भगवान् को पुकारा तो सही लेकिन आपने उसे दिल से याद नही किया, इसलिए भगवान् आपकी दुआ और प्रार्थना कबूल नही करता। लेकिन क्या दिल से कि गई एक बार प्रार्थना को भगवान स्वीकार नही कर सकता क्यों किसी को हज़ारो लाखो बार भगवान् का नाम लेना पड़ता है।क्या इस तरह भगवान् लोगो को डराकर या उनमे भय पैदा करके लोगो से अपना नाम पुजवाना नही चाहता । क्या भगवान् इतना बड़ा है या अपने को इतना बड़ा तानाशाह शाहंशाह मानता है जो की वो दुःख दर्द से कराहते और उसका दिल और आंसुओं के साथ उसका नाम लेते लोगो की प्रार्थना और द

मेरा इस ब्लॉग पर लिखने का मकसद भगवान् की आलोचना करना या उसकी महानता को कम करने का नही है लेकिन क्या भगवान सर्वव्यापी,सक्षम,सर्वश्रेष्ट और निस्वर होने के बावजूद इस धरती के सभी प्राणियों को असहनीय दुःख और दर्द से मुक्ति नही दिला सकता ।

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मेरा इस ब्लॉग पर लिखने का मकसद भगवान् की आलोचना करना या उसकी महानता को कम करने का नही है लेकिन क्या भगवान सर्वव्यापी,सक्षम,सर्वश्रेष्ट और निस्वर होने के बावजूद इस धरती के सभी प्राणियों को असहनीय दुःख और दर्द से मुक्ति नही दिला सकता । क्यों आज इस धरती पर मौजूद सभी प्राणियों को इतना दुःख दर्द सहना पड़ रहा है ये एक गम्भीर सवाल है जो भगवान् एक रावण को मारने के लिए जन्म ले सकते है तो क्या आज समाज में मौजूद लाखों रावणो को मारने और सभी प्राणियों को इस दुःख दर्द से मुक्ति दिलाने के लिए जन्म नही ले सकते। जो एक कुनबे(पांडवों) के कुछ लोगो को न्याय दिलाने के लिए कैसे भगवान् तड़पते और बिलखते करोड़ो लोगो के दुःख दर्द को सहन कर पाता है वो कैसे सुख चैन से रह सकता है जब उसकी दुनिया में ज्यादातर लोग किसी न किसी दुःख से परेशान हैं।

क्या भगवान् सच में दयालु है ?

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भगवान् दयालु है या नही मैंने  बहुत लोगो और विद्वानों से सुना है की भगवान् बहुत दयालु है गॉड इज़ काइंड ,हमारे माता -पिता और आस पास के लोग भी अक्सर कहते हैं कि भगवान्  बहुत दयालु है और भगवान् की उसी दया के कारण हम जिन्दा है और अपनी जिंदगी में जो कुछ भी हम पाते हैं वो सब भगवान् की दया है लेकिन आप  ही  बताइए  कि  अगर भगवान् दयालु  होते  तो  क्या  इतने  लोग  बीमार  होते ?इतने  बच्चे  अनाथ  होते ,इतने लोग गरीबी और कुपोषण से तड़प तड़प के मरते ?क्या लोग अपाहिज ,अंधे ,गूंगे बहरे या कोई अन्य शारीरिक विकृति के कारण पूरी ज़िन्दगी भर दुःख पाते  ?क्या इतने निर्दोष लोग आतंकवादियो द्वारा बेरहमी से मारे जाते ?क्या ऐसे जेलों में निर्दोष लोगो को यातनाये दी जाती?क्यों दुर्घटनाओ से इतने लोग मारे जाते  ? क्यों ऐसे दुनिया में सभी लोग दुःख पाते ? अगर भगवान् दयालु होते  तो इस दुनिया में इतना दुःख दर्द नही  होता। क्योकि वो सक्षम है और भगवान् तो दयालु होना चाहिए ताकि उसकी प्रजा सुखी और समृद्ध रहे। आज की परिस्थिति को देखते हुए लगता है कि भगवान् के अंदर थोड़ी सी भी दया नही है उसका दिल ,दिल नही पत्थर है। मैं समझ

भगवान् का न्याय

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न्याय वो परिक्रिया है जिससे किसी के अच्छे या बुरे कर्मो का अवलोकन करके उसे सुख(आनंद) या दुःख (दण्ड ) दिया जाये जो लोग बुरे कर्म करते है वो दंड के भागीदार होते हैं और जो लोग अच्छे कर्म करते है वो लोग इस जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं सामाजिक न्याय भी इसी सिद्धान्त पर काम करता है जो लोग बुरे काम जैसे चोरी ,डैकती , हत्या या बलात्कार आदि अपराध करते है उन्हें न्यायिक अदालत द्वारा दंड दिया जाता है और जो लोग अच्छे काम जैसे समाज सेवा ,गरीबों की सेवा या जन कल्याणकारी काम करते हैं उन्हें समाज से प्रतिष्ठा और सम्मान मिलता है लेकिन एक सवाल दिल में  आता है कि भगवान् का न्याय क्या है ? क्या वो सभी को उचित न्याय देता है? क्या जो सुख दुःख हम अपने जीवनकाल में भोगते हैं वो सही है? क्या हमे सुख और दुःख अपने अच्छे या बुरे कर्मो के फल के कारण मिलता है ? मैं मानता हूँ कि भगवान् हमारे साथ न्याय नही करता क्योकि न्याय  वो होता है जिसमे अपराधी को पता हो कि उसने क्या अपराध किया है। अगर किसी को ये नही पता कि उसे उसके किस अपराध की सज़ा मिल रही है और उस सज़ा की अवधी कितनी है तो वो न्यायसंगत नही है मैंने देखा ह

ईश्वर ने हमें और इस ब्रह्माण्ड को क्यों बनाया ?

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यह सवाल बहुत जटिल है कि भगवान् ने हमे क्यों बनाया ? क्योकि भगवान् तो अनादि  काल से है  जब तक इस ब्रह्माण्ड की रचना तक भी नही हुई थी तो अचानक उसके मन में इस सृष्टि की रचना का ख्याल क्यों आया मैंने इस बारे में बहुत सोचा कि भगवान् ने हमें क्यों बनाया होगा कुछ कारण मेरे दिमाग में आये जैसे 1. क्या भगवान् ने अपना अकेलापन दूर करने के लिए सृष्टि का निर्माण किया 2. क्या भगवान् ने हमे इस लिए बनाया ताकि हम उसकी पूजा करें और उसका पूरी दुनिया में नाम हो 3. क्या उसने इस सृष्टि का निर्माण इस लिए किया ताकि वो अपनी  महानता और पराक्रम किसी को दिखा सके और लोग उसकी जय जयकार करें 4. या क्या भगवान् एक निर्दयी तानासाह है जिसने इस सृष्टि का निर्माण इस लिए किया ताकि वो लोगो और इस सृष्टि को अपने इशारे पर चलाये, और अपना  गुणगान कराये ,और उसकी पूजा या जय जयकार न करने पर लोगो को दण्डित करे या लोगो से खेल सके किसी को दुःख तो किसी को अचानक सुख,  जैसा उसका दिल करे वो वही करे या फिर हम इतने बुद्धिमान या सक्षम नही हैं  जो इस बात को सोच सकें कि भगवान् ने हमे क्यों बनाया होगा ? बहुत से धार्मिक विद्वानों का य

भगवान् कौन है

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हम बचपन से ही भगवान और देवी देवताओ के बारे में सुनते आ रहे है और उनसे प्रार्थना और  उनकी भक्ति करते आ रहे हैं और इसी तरह सभी लोग अलग-अलग तरीके से भगवान एवं अपने धर्म से जुड़े हुए हैं। लेकिन फिर भी, कभी कभी हमारे दिल में ख्याल आता है  कि भगवान कौन हैं? क्या भगवान का सच में कोई अस्तित्व हैं? वो रहता कँहा है?  वो कैसे हमारा भला करता है या वो किस तरह हमे दण्डित करता है? क्या किसी ने भगवान को देखा हैं या उसे महसूस  किया हैं?  यह ब्रह्मांड किसने बनाया?  और कोण इस दुनिया या ब्रह्मांड को चलाता है ? क्या ये दुनिया भगवान चलाते हैं? और वो इस दुनिया को कैसे चलते हैं भगवान का न्याय क्या है? क्या भगवान हमारी  पूजा और प्रार्थना सुनते हैं क्या सही में भगवान हमेशा सच के साथ होते हैं क्या भगवान दयालु हैं जो कभी किसी पर अन्याय नही होने देते?क्या भगवान् एक ही है ?  क्या  भगवान और विज्ञान के बिच में  कोई सबंध हैं? ऐसे प्रसन हमेशा मेरे दिमाग में रहते हैं  जब हम इस विशाल ब्रह्मांड को देखते हैं, तब हम एक अद्भुत शक्ति का अनुभव  करते हैं जो सभी को संतुलित रखती हैं । दूसरा, जब हम सुंदर प्रकृति को देखते हैं, ह