क्या भगवान् सच में दयालु है ?

भगवान् दयालु है या नही
मैंने  बहुत लोगो और विद्वानों से सुना है की भगवान् बहुत दयालु है गॉड इज़ काइंड ,हमारे माता -पिता और आस पास के लोग भी अक्सर कहते हैं कि भगवान्  बहुत दयालु है और भगवान् की उसी दया के कारण हम जिन्दा है और अपनी जिंदगी में जो कुछ भी हम पाते हैं वो सब भगवान् की दया है

लेकिन आप  ही  बताइए  कि  अगर भगवान् दयालु  होते  तो  क्या  इतने  लोग  बीमार  होते ?इतने  बच्चे  अनाथ  होते ,इतने लोग गरीबी और कुपोषण से तड़प तड़प के मरते ?क्या लोग अपाहिज ,अंधे ,गूंगे बहरे या कोई अन्य शारीरिक विकृति के कारण पूरी ज़िन्दगी भर दुःख पाते  ?क्या इतने निर्दोष लोग आतंकवादियो द्वारा बेरहमी से मारे जाते ?क्या ऐसे जेलों में निर्दोष लोगो को यातनाये दी जाती?क्यों दुर्घटनाओ से इतने लोग मारे जाते  ? क्यों ऐसे दुनिया में सभी लोग दुःख पाते ? अगर भगवान् दयालु होते  तो इस दुनिया में इतना दुःख दर्द नही  होता। क्योकि वो सक्षम है और भगवान् तो दयालु होना चाहिए ताकि उसकी प्रजा सुखी और समृद्ध रहे।
आज की परिस्थिति को देखते हुए लगता है कि भगवान् के अंदर थोड़ी सी भी दया नही है उसका दिल ,दिल नही पत्थर है। मैं समझ नही पाता कि वो इतने रोते ,कराहते ,चीखते और बिलखते लोगो का दर्द कैसे देख सकता है और वो उफ़ तक नही करता। क्या उसके दिल में थोड़ी सी भी दया या हमदर्दी नही हैं हम लोगो से
क्योकि मैं एक इंसान होते हुए भी किसी का दुःख ,दर्द नही देख पाता ,मैं घर ,घर से बाहर ,ऑफिस या किसी भी जगह जाता हु ,तो हर जगह  मुझे दर्द से कराहते, ज़िन्दगी से झुझते,और बिमारियों से बिलखते  लोग दिखाई देते हैं जिसे देखकर मेरा कलेजा फटने को होता है अगर मैं कंही पर रोड एक्सीडेंट या किसी और दुर्घटना में लोगो को मरते देख लेता हूँ या किसी अपाहिज को देख लेता हूँ तो कई दिनों तक उसका दर्द महसूस कर सकता हूँ ,दिल बेचैन हो जाता है ,रात  को नींद नही आ पाती ,रत में जब उस घटना को याद करता हु तो आँखों से आंसू नही रुकते तो न जाने भगवान् जो पूरी सृस्टि को देख रहा है और वो न जाने कितनी मौतें और दुःख दर्द और कितने ही अपाहिज लोग और बिमारियों से चीखते-बिलखते लोगो को देखता है  फिर भी उसका कलेजा नही फटता , न ही उसकी रोने की आवाज़ आती ,न ही उसके चैन में लोई खलल पड़ता। अगर भगवान् दयालु होते तो  वो इतने सारे  लोगो के दुःख से न तो चैन से सो पाते, न चैन से रह पाते,
लेकिन जैसे आज लोगो का दुःख दर्द बढ़ता जा रहा है उससे लगता नही कि भगवान् हमारा दुःख दर्द महसूस करता है क्योकि हमारे दुखों से उस पर कोई असर नही पड़ता वो तो अपनी ज़िन्दगी सहंसाओं कि तरह जी रहा है उसे हम लोगो के दुःख दर्द से क्या मतलब ,हम सब उसकी कठपुतली है जिसे जैसे चाहे नचाता है.

भगवान्  इस सृष्ठि को अपनी सबसे सूंदर व् श्रेष्ठ रचना मानता है मैं समझ नही पाता  जिस दुनिया में इतना दुःख दर्द हो ,लोग तड़प रहे हो वो श्रेष्ठ रचना कैसे हो सकती है
भगवान् तो अंतर्यामी और कुछ भी करने में सक्षम हैं तो लोगो का दुःख दर्द दूर क्यों नही कर देते ,क्या ये एक राजा का फ़र्ज़ नही कि वो अपनी जनता के सभी दुखो को समाप्त कर दे ,क्या  माँ बाप का फ़र्ज़ नही वो अपनी संतान को सुखी रखे, जब एक माँ अपने बच्चे को सुख देने के लिए अपना पूरा जीवन खाप देती है तो अपनी संतान को सुखी रखने के लिए भगवान् ये नही कर सकता जो कि भगवान् ये सब करने में वो पूरी तरह सक्षम है 

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