ईश्वर ने हमें और इस ब्रह्माण्ड को क्यों बनाया? Why God Created Us?

यह सवाल बहुत जटिल है कि भगवान् ने हमे क्यों बनाया ? ऐसे क्या कारण रहे होंगें जिसके कारण भगवान् को इस सृष्टि की रचना करनी पड़ी। क्योकि भगवान् तो अनादि काल से है जब तक इस ब्रह्माण्ड की रचना तक भी नही हुई थी तो अचानक उसके मन में इस सृष्टि की रचना का ख्याल क्यों आया,

मैंने इस बारे में बहुत सोचा कि भगवान् ने हमें क्यों बनाया होगा कुछ कारण मेरे दिमाग में आये जैसे

1. क्या भगवान् ने हमे इसलिए बनाया ताकि हम उसकी पूजा करें और पूरी दुनिया में उसका नाम हो?

2. क्या भगवान् ने अपना अकेलापन दूर करने के लिए इस सृष्टि का निर्माण किया होगा?

3. भगवान् ने हमे ख़ुशी और आनंद देने के लिए बनाया है?

4. क्या उसने इस सृष्टि का निर्माण इसलिए किया ताकि वो अपनी महानता और पराक्रम किसी को दिखा सके और लोग उसकी जय जयकार करें?

5. क्या भगवान ने पुरे ब्रह्माण्ड पर राज करने वाले राजा बनने की ललक के कारण इस सृष्टि निर्माण किया जँहा वो इस सृष्टि को अपने इशारे पर चलाये और लोगों से अपना गुणगान कराये?

6. या सामर्थवान होने के कारण उनके दिमाग में सृष्टि रचने का ख्याल आया जिसके कारण उन्होंने इंसानों के निर्माण के बारे में सोचा जिससे उन्हें प्रसनता हो और साथ में भिन्न भिन्न तरह के प्राणी और जीव -जंतु का निर्माण कर सृष्टि रचने का काम किया?

या फिर हम इतने बुद्धिमान या सक्षम नही हैं जो इस बात को सोच सकें कि भगवान् ने हमे क्यों बनाया होगा ?


मैंने इन सभी 6 प्रश्नों का उतर खोजने की कोशिश की

प्रश्न 1 :- क्या भगवान् ने हमे इसलिए बनाया ताकि हम उसकी पूजा करें और पूरी दुनिया में उसका नाम हो?
उत्तर:
अगर इसे सच माने तो ,क्या भगवान् ऐसा करके लोगो की जिंदगी और लोगो की भावनाओं से खेल नही रहा है? क्या वो ऐसा करके लोगों के साथ अन्याय नहीं कर रहा ? क्या भगवान ने हमे सिर्फ पूजने के लिए बनाया है? लेकिन ऐसा लगता नहीं है क्योंकि इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग है जो भगवान् को नहीं मानते और न ही पूजा करते है लेकिन उन्होंने इस संसार में बहुत ख्याति हाँसिल की है,

भगवान् ने उन्हें सब कुछ दिया है उदाहरण के तौर पर जैसे कि स्टीफन हॉकिंस को ले लीजिये जो प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे ,अगर भगवान् हमे सिर्फ खुद की पूजा कराने के लिए बनाता तो वो ऐसे इंसान कतई नहीं बनाता जो उसकी पूजा न करे और न ही वो जीव जंतु या अन्य कोई प्राणी की रचना करते जो उसे पूजने में असक्षम हो, तो भगवान् ने हमें सिर्फ उसे पूजने के लिए तो नहीं बनाया। उसके पीछे कुछ न कुछ ठोस बातें रही होंगी

प्रश्न 2 :- क्या भगवान् ने अपना अकेलापन दूर करने के लिए इस सृष्टि का निर्माण किया होगा?
उत्तर:
भगवान् अनादि काल से है वो सर्वसमाहित और परिपूर्ण है उन्हें क्या किसी की जरूरत होगी ,उनमे तो सारा ब्रह्माण्ड समाहित है, सुख-दुःख ,प्यार ,अनुभूति और जितनी भी भावनाये है वो सब भगवान ने ही बनाई है तो वो कैसे अकेला महसूस कर सकते है, तो इसलिए कम से कम अपना अकेलापन दूर करने के लिए तो ये दुनिया नहीं बनाई। भगवान् से दुनिया है न कि दुनिया से भगवान्

प्रश्न 3 :- क्या भगवान् ने हमे ख़ुशी और आनंद देने के लिए बनाया है?
उत्तर:
अगर कुछ लोगो की माने तो वो कहते है कि भगवान् ने हमे ख़ुशी और आनंद देने के लिए बनाया है जबकि उनकी ये बात भी मिथ्या लगती है क्योकि इस दुनिया में हर तरफ दुःख ही दुःख नज़र आता हैं हर कोई प्राणी किसी न किसी परेशानी से घिरा हुआ है रोजाना निर्दयी और क्रूर घटनाये घटित होती है ,कोई बीमारी से परेशान है तो कोई गरीबी से ,कोई रिश्तों से परेशान है तो कोई जिंदगी से, यहां हर तरफ दुःख और निराशा नज़र आती है तो इसलिए यह कहना कि भगवान् ने हमे ख़ुशी और आनंद देने के लिए बनाया है यह बात भी कुछ हज़म नहीं होती।

प्रश्न 4 :- क्या उसने इस सृष्टि का निर्माण इसलिए किया ताकि वो अपनी महानता और पराक्रम किसी को दिखा सके और लोग उसकी जय जयकार करें?
उत्तर:
भगवान् सर्वशक्तिशाली और महान पराकर्मी है हमारे मानने या न मानने से उनके पराक्रम पर कोई असर नहीं पड़ता ,भगवान् को कुछ भी सिद्ध करने की जरूरत क्यों होगी इसलिए मुझे लगता है कि अपनी महानता या पराक्रम सिद्ध करने के लिए तो भगवान् ने हमे या इस दुनिया को नहीं बनाया होगा।

प्रश्न 5 :- क्या भगवान ने पुरे ब्रह्माण्ड पर राज करने वाले राजा बनने की ललक के कारण इस सृष्टि निर्माण किया जँहा वो इस सृष्टि को अपने इशारे पर चलाये और लोगों से अपना गुणगान कराये

उत्तर: अगर भगवान् ने इस सोच के साथ इस ब्रह्माण्ड का निर्माण किया होगा तो वो एक तानाशाह से ज्यादा कुछ भी नहीं , मगर ऐसा लगता नहीं जो पहले से ही तीनों लोकों का स्वामी है ,जिसके हाथ में सारी दुनिया का नियंत्रण है उसे भला इससे क्या मतलब

प्रश्न 6 :- एक व्यवस्था या प्रणाली
उत्तर: कोई भी प्रणाली, व्यवस्था या तंत्र तब तक अधूरे है तब तक कोई चक्र या श्रृंखला पूरी न हो, सोचो कोई राज्य हो और पुरे राज्य में सिर्फ अकेला राजा हो तो उस राज्य होने का क्या मतलब रह जाता है इसी तरह ब्रह्माण्ड हो और उस ब्रह्माण्ड में अकेला राज करने वाला राजा (भगवान्) हो तो उस ब्रह्माण्ड का क्या अर्थ रह जाता है 

उस ब्रह्माण्ड को पूरा करने के लिए हम सब की जरूरत तो पड़ेगी ही न , इसलिए भगवान् ने व्यवस्था निर्माण करने की सोची ,क्योकि सिर्फ राजा के होने से व्यवस्था कैसे चलेगी, व्यवस्था और तंत्र के लिए राजा के साथ-साथ प्रजा का होना भी उतना ही जरूरी है। कोई कंपनी हो और सिर्फ मालिक हो तो उस कंपनी का कोई मतलब रह जाता है क्या नहीं न ,कंपनी में वर्कर्स की जरूरत भी पड़ेगी। इसलिए व्यवस्था रूपी इस संसार को चलाने के लिए भगवान् को हमारे निर्माण की जरूरत पड़ी, क्युकी अगर सृष्टि की रचना नहीं हुई होती तो भगवान् आखिर करते क्या?

इसके लिए उन्होंने अपने अनेक रूप बनाये और सभी देवी-देवताओं को अपनी अपनी जिम्मेदारियाँ दी जैसे पालन-पोषण, कर्म-फल प्रबंधन और मृत्यु का काम ब्रह्माह, विष्णु, महेश ने अपने हाथों में रखा और अलग अलग देवताओं को अलग अलग जिम्मेदारियाँ दी जैसे अग्नि देव का काम अग्नि देना ,बुद्धि की देवी माँ सरस्वती ,धन धान्य के लिए माँ लक्ष्मी देवी,वायु के लिए वायु देवता ,प्रकाश के लिए सूर्य देवता ऐसे ही भिन्न भिन्न काम सभी देवताओं को सौंपे गए ताकि इस संसार को व्यस्थित ढंग से चलाया जा सके.

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